देश की राजनीति में प्रशांत किशोर की भूमिका कई वर्षों से एक रणनीतिकार के रूप में रही है। पिछले कई वर्षों से वह भाजपा (BJP) का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं और उसकी जीत पर मास्टरमाइंड कहे जाते रहे हैं। लेकिन अब प्रशांत किशोर चुनावी मैदान में अपनी स्वयं की पार्टी गठित कर देश के लोगों की आवाज बनना चाहते हैं।
हालांकि उनका सफर अनेक विवादों से भरा पड़ा है। प्रशांत किशोर कभी नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे। कई चुनावी योजनाओं में उनकी अहम भूमिका रही है। इसके बदौलत यह दोनों चेहरे हमेशा राजनीतिक मैदान में मजबूत दिखे हैं।
प्रशांत किशोर वही थे जिन्होंने 2012 के गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए पहली बार प्रीति प्रचार तकनीक का इस्तेमाल करवाया। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत के पीछे सबसे अहम मास्टरमाइंड भी वे ही माने गए।

देश की राजनीति में प्रशांत किशोर: रणनीतिकार से राजनीतिक तक का सफर-
प्रशांत किशोर ने राहुल और प्रियंका गांधी के साथ भी चुनावी बातचीत की। 2017 के उपचुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की ब्रांडिंग की, हालांकि यह प्रयास असफल साबित हुआ। वहीं, पंजाब में कांग्रेस की जीत में उनका योगदान जरूर माना गया।
2021 पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को बड़ी जीत दिलाने का श्रेय भी प्रशांत किशोर को जाता है। इसी दौरान उनका बयान वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आने वाले दशकों तक बीजेपी भारतीय राजनीति का केंद्र रहेगी।
लेकिन मामला बदल गया जब 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के अवसर पर प्रशांत किशोर ने अपनी नई पार्टी जन सुराज पार्टी की स्थापना की। उन्होंने दावा किया कि यह पार्टी जनता की आवाज बनेगी और जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति करेगी।
आजकल प्रशांत किशोर खास तौर पर बिहार के हर गली, हर चौराहे, हर शहर और हर बाजार में घूम-घूम कर अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे हैं। उन्हें जनता का प्यार भी मिल रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उन्हें कितना समर्थन मिलता है। इसका फैसला चुनाव परिणाम के बाद होगा।