नेपाल एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई ने हालात को इतना बिगाड़ दिया कि देश की नई पीढ़ी सड़कों पर उतर आई। 1997 से 2012 के बीच जन्मे युवाओं, जिन्हें जेनरेशन Z कहा जाता है, ने सरकार के खिलाफ जमकर आवाज़ उठाई। विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि संसद भवन में आग लगा दी गई और कई जगह हिंसा फैल गई।
भ्रष्टाचार बना सबसे बड़ा संकट
नेपाल में बीते कुछ सालों में एयरपोर्ट निर्माण, मेडिकल सेक्टर, कोऑपरेटिव सोसाइटी और हथियारों की खरीद जैसे मामलों में बड़े घोटाले सामने आए। इन घोटालों ने आम जनता का विश्वास तोड़ा और युवाओं में गुस्सा भर दिया। नौकरी की कमी और बढ़ती महंगाई के बीच लाखों युवा बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जाने को मजबूर हो गए।
सोशल मीडिया से गूंजा विरोध
इस बार आंदोलन की ताकत सोशल मीडिया से भी झलकी। युवाओं ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर एक-दूसरे से जुड़कर आंदोलन को और मज़बूत किया। सरकार ने जब सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, तो हालात और भड़क गए। पुलिस की गोलीबारी ने आग में घी डालने का काम किया और हालात पूरी तरह बेकाबू हो गए।
सेना की एंट्री और अंतरिम सरकार
बढ़ते तनाव को देखते हुए सेना को मोर्चा संभालना पड़ा। इसके बाद देश की बागडोर अंतरिम सरकार को सौंपी गई, जिसकी कमान सुशीला कार्की के हाथ में दी गई। खास बात यह है कि कार्की बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की पूर्व छात्रा रही हैं।
नेपाल में गहराता संकट: भ्रष्टाचार और युवाओं के गुस्से से थर्राया देश
भारत के लिए बढ़ी चिंता
नेपाल की अस्थिरता भारत के लिए भी चिंता का कारण है। चीन वहां लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, जबकि अमेरिका और पश्चिमी देशों के एनजीओ पर क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया जा रहा है। ऐसे में भारत के लिए ज़रूरी है कि वह नेपाल के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत करे और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखे।
डिजिटल आत्मनिर्भरता पर जोर
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल के हालात भारत को भी चेतावनी देते हैं। भारत को डिजिटल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा। Gmail, YouTube और Google Play Store जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय देश को अपने मेल, सर्च इंजन और ऐप स्टोर विकसित करने चाहिए। यह न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करेगा, बल्कि भारत को तकनीकी तौर पर भी आत्मनिर्भर बनाएगा।
निष्कर्ष
नेपाल का मौजूदा संकट साफ दिखाता है कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और असमानता किसी भी लोकतंत्र की नींव को हिला सकती है। युवाओं का गुस्सा, सोशल मीडिया की ताकत और बाहरी दखल ने नेपाल की राजनीति को अस्थिर कर दिया है। भारत के लिए यह समय है कि वह पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों में संतुलन बनाए और साथ ही डिजिटल स्वायत्तता की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए।