Prashant Shivaji, Shiv Sena leader, speaking at a press conference with microphones and reporters in attendance.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरोप प्रत्यारोप का दौर हुआ तेज:प्रशांत किशोर प्रशांत किशोर का अशोक चौधरी पर पर 200 करोड़ की संपत्ति बनाने का आरोप

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BIHAR: जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सभी पार्टियों का एक-दूसरे के प्रति आप का सिलसिला भी तेज होता जा रहा है। एक ओर राजद में नई पीढ़ी की एंट्री हुई है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी और जदयू के भीतर गुटबाजी और भ्रष्टाचार के आप ने सियासी माहौल पूरी तरह से गरमा दिए हैं।

आरजेडी में पहले साधु यादव और सुभाष यादव जैसे नेता ताकतवर हुआ करते थे और यह नेता लालू यादव के साले थे। अब उसकी जगह लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने ले ली है। लेकिन पार्टी का काम करने का तरीका और उसका करेक्टर पहले की तरह ही है।

इसी बीच, प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप इस प्रकार हैं—

1 सम्राट चौधरी पर फर्जी डिग्री और हत्या के केस छुपाने का आरोप।
2 अशोक चौधरी, जदयू, पर 200 करोड़ की संपत्ति बनाने का आरोप।
3 मंगल पांडे, भाजपा मंत्री, की पत्नी के खाते में दो करोड़ का अवैध ट्रांजैक्शन।
4 संजय जायसवाल, भाजपा सांसद, पेट्रोल पंप घोटाले में फंसे।
5 दिलीप जायसवाल, भाजपा नेता, का नाम भ्रष्टाचार के मामले में जुड़ा।

इन तमाम आरोपों के बाद एनडीए के भीतर बेचैनी का माहौल छा गया है। खुद बीजेपी और जदयू नेताओं ने कहा है कि आरोपित मंत्रियों को सफाई देनी चाहिए। आरसी में बयान दिया गया है कि सफाई जरूरी है, वरना पार्टी की छवि खराब होगी। वहीं वीडियो परिवर्तन नीरज कुमार ने भी कहा है कि आरोपित मंत्री इसका जवाब दें।

प्रशांत किशोर को मंत्री अशोक चौधरी ने भेजा 100 करोड़ का लीगल नोटिस, मानहानि का आरोप

जवाब में अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर पर 100 करोड़ का मानहानि का सायक किया है। सम्राट चौधरी ने कहा है कि उनके खिलाफ सभी केस रिकॉर्ड में हैं, कुछ भी छुपाया नहीं गया है। संजय जायसवाल ने पलटवार करते हुए पीके पर फर्जी कंपनियों के जरिए पैसे लेने का आरोप लगाया है।

कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति में इस समय अंदरूनी कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों ने माहौल को पूरी तरह से बदल दिया है। बीजेपी और जदयू जहां दबाव में हैं, वहीं राजद और कांग्रेस इस प्रकार के सियासी संकट को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही हैं। चुनावी साल में यह उठा-पटक निश्चित तौर पर राज्य की राजनीति को एक नई दिशा देने में कारगर साबित होगी।

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