मध्य प्रदेश और राजस्थान से बेहद अफसोसनाक खबर सामने आई है। खबर के मुताबिक कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। दवाइयां के जांच से पता चला कि इन कफ सिरप खांसी की दवाइयां में जहरीले रसायन मिला हुआ था। प्रयोगशाला के रिपोर्ट के मुताबिक इन दवाइयां में इथिलीन ग्लाइकॉल नामक एक रसायन था जो अत्यंत जहरीला होता है। इन दवाइयां में इन रसायनों की मात्रा 48% तक पाया गया है। विशेषज्ञों ने बताया कि इसके इस्तेमाल से किडनी फेलियर और मृत्यु तक की संभावना है। इन्हीं दवाइयां की चपेट में आकर अब तक कुल 14 बच्चे अपने जान गवा चुके हैं। इसके अलावा कई बच्चों पर खतरा मंडरा रहा है। इस घटना के बाद सरकार के द्वारा फिलहाल दवाइयां पर बैन लगा दिया गया है।
घटना के बाद हिट कार्रवाई करते हुए सरकार में इन दवाइयां को पूरी तरह से बन कर दिया है। इसके अलावा इन दवाई निर्माता कंपनी के मालिक जी रंगनाथन को चेन्नई से उसके निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा किया गया ताजा सूचना के अनुसार इस तरह की वारदात के सामने आते हैं मध्य प्रदेश पुलिस 7 सदस्य टीम बनाकर जितेंद्र जाट के नेतृत्व में इन कंपनियों के मालिक को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार करने के पश्चात उसे कांचीपुरम ले गया जहां उनका कंपनी है।
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इन्हीं मामले से जुड़े डॉक्टर प्रवीण सोनी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है क्योंकि उन्होंने इन कफ सिरप को लिखने का काम किए थे। हालांकि जिस समय वह एप्लीकेशन पर इन दवाइयां का नाम लिखे थे उसे सबक तक इस तरह की घटना सामने नहीं आया था। यही कारण है कि डॉक्टर प्रवीण सोनी के समर्थन में कई लोग सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस विषय में डॉक्टरों का कहना है कि मैं केवल प्रिसक्राइब किया था जब इसका मुख्य दोषी तो दवा निर्माता कंपनी ही है। तमाम बच्चों के मौत का मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर गूंज रहा है, एक तरफ जहां दवा निर्माता को गिरफ्तार कर लिया है वहीं डॉक्टरों का समुदाय डॉक्टर सोनी की गिरफ्तारी को लेकर लामबंद है। जांच एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क की तहकीकात में ड्यूटी है। पहला सवाल तो यह है कि आखिर कैसे चेन्नई में जिस दवा को पूरी तरह से बन कर दिया है क्या है वह मध्य प्रदेश तक कैसे पहुंची। इसके लिए तमाम प्रशासन बाल जगह-जगह मेडिकल स्टोर में छापेमारी करके इस तरह के दवाइयां का पता लगाने में जुटा है।