चुनाव की तारीख के घोषणा के बाद एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसको लेकर लगातार पटना से लेकर दिल्ली तक बैठक पर बैठक किया जा रहा है। तमाम बैठकों के बाद भी अभी तक सीट को लेकर सहमति नहीं बन पाई है।
हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ने 15 सीटों की मांग को लेकर अपना रुख कड़ा कर दिया है। मंगलवार के दिन बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं ने उन्हें मनाने की लाख कोशिश की लेकिन बैठक में कोई खास नतीजा नहीं निकल पाया। बुधवार के दिन जीतन राम मांझी ने एक शब्द कहा जिसको लेकर राजनीतिक हलचल और भी तेज हो गई है और वह शब्द है,विकल्प।
उन्होंने कहा कि बिहार में 70 से 80 सीट ऐसी है जहां हम 20 से 25000 वोट ला सकते हैं इसलिए विकल्प पर सोचना गलत नहीं होगा। अंत में जीतन मांझी ने साफ शब्दों में कहा कि वह एनडीए से बाहर तो बिल्कुल नहीं जाएंगे, शर्त यही है कि अगर उन्हें 15 सीट नहीं दी जाए तो वह चुनाव ही नहीं लड़ेंगे।
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दूसरी ओर आरएलएम के प्रमुख नेता उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी के नेतृत्व को 20 से ज्यादा सीटों की सूची सौंपकर स्थिति और जटिल कर दिया है। आगे उन्होंने कहा कि इनमें से कई सिम पहले से ही बीजेपी और जदयू के खाते में है। देखा जाए तो उपेंद्र कुशवाहा अपनी पसंदीदा सीटों पर गज लगाकर बैठे हैं।
जबकि लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी 20 से 25 सीटों की मांग पर अपना मोहर लगा दिया है। वह बताते हैं कि सही समय पर सही फैसला ले लिया जाएगा लेकिन इशारों में अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी।
आपको बता दे कि भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश प्रभारी विनोद तावडे और मंत्री मंगल पांडे के साथ एक बैठक हुई। अफसोस की बात यही रहती है कि बैठक तो होती है लेकिन उसका कोई उचित औपचारिक हल नहीं निकल पाता है।
ताजा जानकारी के मुताबिक एनडीए में बीजेपी-जेडीयू लगभग 205 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, लेकिन चिराग पासवान को 20 से 25 सीट, जीतन राम मांझी को 7 सीट और उपेंद्र कुशवाहा को 6 सीट देने का प्रस्ताव है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो अब सबकी निगाहें एनडीए के अंतिम फार्मूले पर टिकी हैं — क्या सभी सहयोगी एकमत होंगे या मांझी का *विकल्प* एनडीए के समीकरण को बदल देगा।