भारत में रहते शायद ही आपने ऐसा कभी देखा या सुना होगा कि लोकसभा से लेकर राज्यसभा में केवल 2 दिन के अंदर कोई कानून पारित हो जाती है। ऐसा ही मनी गेम को लेकर हुआ।
संसद में उठे सवाल
20 अगस्त को सदन में ऑनलाइन मनी को लेकर सवाल खड़े किए गए, जिसमें बताया गया कि मनी गेम के चलते हमारे देश के बच्चे और युवा बर्बाद हो रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं और कर्ज के बोझ से लोग सुसाइड तक भी कर रहे हैं।
इन सब चीजों का हवाला देकर 21 अगस्त को लोकसभा और फिर राज्यसभा में यह बिल पेश हुआ और 22 अगस्त तक यह पास भी कर दिया गया। अर्थात देश में कानून बन जाता है, जिसके बाद किसी भी प्रकार की ऑनलाइन मनी गेम को न कोई खेल सकता है, न मिला सकता है और न ही इसका प्रमोशन कर सकता है।
जल्दबाजी पर सवाल
आखिर इतनी भी जल्दी क्या थी कि केवल दो दिनों में ही एक नया कानून बनाकर ऑनलाइन मनी गेम को बंद कर दिया गया? क्या हमारे देश में शराब, ड्रग और सिगरेट बंद नहीं होने चाहिए? क्या इन सब चीजों से युवाओं का भविष्य निखरता है? तो बिल्कुल नहीं।
शराब और सिगरेट से अधिक हानिकारक गेम नहीं हैं और अभी तक यह भी साबित नहीं हो पाया है कि जिन लोगों ने सुसाइड किया था, उनके पीछे का वजह क्या था।
सुसाइड और फ्रॉड का मामला
अखिलेश के साथ किस तरह का फ्रॉड और किस गेम के द्वारा हुआ यह जानना आवश्यक है। एक जानकारी यह भी आ रही है कि जितने भी लोग गेम को लेकर सुसाइड किए हैं वह एक स्किल ऑफ गेम नहीं था बल्कि बैटल गेम था, जिसमें लोग लाखों रुपए गंवाते और अपनी जान तक दे देते हैं।
लेकिन क्या एक चेस गेम के चलते या कुछ गिने चुने विदेशी निवड के चलते भारत के वास्तविक गेम को बंद कर देना चाहिए? इसे बंद करने का कोई मतलब नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
सभी गेम संचालक इसी जवाब की तलाश में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। मंगलवार के दिन इस पर बहस होनी है। इसमें तमाम मुद्दों पर बात किया जाएगा।
लोगों के मन में यही विश्वास है कि शायद फिर से एक बार Dream11 कुछ शर्तों के साथ वापस आ सकता है और इसके पीछे अन्य वे सभी रियल गेम, जो किसी प्रकार का जुआ नहीं थे, वह भी लौट सकते हैं।
हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है लेकिन दूसरी ओर यह भी है कि सभी गेम संचालन के पास अपने आधार पर फैसला अपने पक्ष में करवाने की कोशिश करेंगे।
सरकार और टैक्स का मामला
अगर इस मामले में फैसला सरकार के पक्ष में रहता है तो इसका बहुत बुरा असर होने वाला है।
क्योंकि जो लोग गेम ऑफ स्किल का खेल खेलते हैं, वे खेलना तो बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे, इसके लिए वे विदेशी कंपनियों की तरफ अवश्य ही जाएंगे, जिनके ऊपर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा।
ऐसे में सरकार को एक भारी वेलकम टैक्स भी मिलना बंद हो जाएगा और ऊपर से जो गेम खेलने वाले हैं, वह तो गेम खेलेंगे ही।