भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिका के द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ को बेहद परेशान करने वाला मुद्दा बताया। इस विषय में उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक *वेक अप कॉल* है। उनका कहना है कि देश को किसी एक देश पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए।
आगे उन्होंने बताया कि भारत को व्यापार के लिए यूरोप, अफ्रीका और एशिया जैसे नए रास्तों की तलाश करने की आवश्यकता है। इसके अलावा रूस से मिलने वाले तेल पर पुनर्विचार करने की सलाह भी उन्होंने दी। राजन ने आगे कहा कि आज व्यापार, निवेश और वित्त को हथियार बनाया जा रहा है, इसलिए भारत को अपने निर्यात बाज़ार और सप्लाई स्रोतों में विभिन्नता लाने की ज़रूरत है।
मोदी सरकार का फैसला
मोदी सरकार ने कपास के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है। यह फैसला अमेरिका के उच्च टैरिफ के बाद लिया गया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह किसानों के साथ बहुत धोखा हो रहा है। किसान जो सबों का पालनहार है, उसके साथ इतना बड़ा धोखा भाजपा ही कर सकती है और कोई नहीं। एक तरह से देखा जाए तो केजरीवाल का सीधा निशाना बीजेपी सरकार पर था।
इसके अलावा उनका यह भी आरोप है कि अमेरिका से आने वाली कपास भारतीय किसानों की कपास से सस्ती होगी।
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किसानों का विरोध
किसानों की तरफ से देखा जाए तो सभी किसान इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि भारत के किसान पहले से ही संकट झेल रहे हैं और अब वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में घिर जाएंगे। उनका तर्क है कि अमेरिका में किसानों को लगभग 12% सब्सिडी मिलती है, जबकि भारत में यह केवल 2.37% है।
विदेश मंत्रालय की नाराज़गी
अमेरिका के 50% टैरिफ के फैसले पर विदेश मंत्रालय ने बेहद नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि रूसी तेल आयात पूरी तरह से व्यावसायिक निर्णय है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया ने भी श्रम की नीति का विरोध करते हुए भारत का समर्थन किया था।