A document titled "Legal Challenge" on a desk, with a judge's gavel and glasses placed nearby.

भारत में ऑनलाइन मनी गेम को लेकर सरकार का U Turn: क्या हम फिर से कभी भारत में रहकर ऑनलाइन मनी गेम खेल पाएंगे?

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भारत में ऑनलाइन मनी गेम को लेकर सरकार का U-Turn, जिस तरह भारत में ऑनलाइन गेमिंग बिल लाकर एक कड़ा निर्देश जारी किए हैं, ऐसे में बहुत लोगों के मन में अभी यही उम्मीदें जाग रही है कि क्या हम फिर से कभी भारत में रहकर ऑनलाइन मनी गेम खेल पाएंगे भी या नहीं।

पहले उम्मीद तो तब जागी जब कर्नाटक सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से ऑनलाइन मनी गेम को अचानक से बंद करने का लिखित कारण मांगा है, जिनकी सुनवाई 8 सितंबर को होनी है। ऐसे में उपभोग करता, गेमिंग इंडस्ट्री के अलावा इंडस्ट्री में काम करने वाले कर्मी के बीच काफी कम काश का वातावरण बना हुआ है।

यदि गेमिंग बिल को कोर्ट से मंजूरी नहीं मिला तो फिर उन सभी लोगों का क्या होगा जो पहले से इतने बड़े इंडस्ट्री में और इतनी बड़ी संख्या में लोग कार्यरत थे। अब तो यह कानून लगभग अमल में आने के कगार पर भी है, लेकिन इसके बीच कुछ ऐसी उम्मीदें जगी है जिससे लोगों को लग रहा है कि शायद कठोर कानून के बजाय सरकार नम व्यवहार करते हुए इसमें बदलाव कर सकती है और फिर से गेमिंग इंडस्ट्री को चालू किया जा सकता है।

A man in India watches a YouTube video on his smartphone, focused on the screen.
 भारत में ऑनलाइन मनी गेम को लेकर सरकार का U Turn:

सरकार के कड़े कानून के बावजूद ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने हाल ही में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात करके एक बैठक की। बैठक में  सुरक्षा, ई-सपोर्ट और सोशल गेम्स को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि सरकार ई-सपोर्ट को प्रोत्साहन देने के लिए तैयार है और जरूरी हुआ तो कुछ संशोधन करके बाकी सब गेम को भी अनबैंड किया जा सकता है, जो एक बहुत बड़ी खुशी की बात मानी जा रही है।

इससे लोगों में यह उम्मीदें लगी है कि सरकार के कड़े फैसले के बीच एक नरम समझौता होने की संभावना है। इस दिल को लेकर जैसा कि आप सभी को पता है कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है, लेकिन इसकी सुनवाई सिर्फ कर्नाटक तक ही सीमित नहीं है बल्कि दिल्ली हाई कोर्ट में भी कई मामले ऑनलाइन गेमिंग बिल को लेकर लंबित पड़े हुए हैं। वहां भी सरकार से लिखित जवाब मांगा गया है।

अदालत में सरकार को 8 सितंबर तक लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि सरकार कानून को लागू करने से पहले रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाएगी और विस्तृत नियम तैयार करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि कानून अभी नोटिफाई नहीं हुआ है, इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। संभावना यही है कि सरकार अपने कठोर कदम में नरमी अवश्य लाएगी।

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कोर्ट में यह भी मुद्दा उठाया जा रहा है कि कुछ लोग मनी गेम में पैसे इन्वेस्ट किए थे और यह वही समय था जब गेमिंग बिल को लागू किया गया। इसके कारण बहुत से यूजर्स का पैसा गेमिंग प्लेटफार्म में ही अटका रह गया। अगर यह कानून पूरी तरह से लागू हो जाता है तो फिर उन लोगों के पैसों का क्या होगा जो बड़ी संख्या में गेमिंग इंडस्ट्री में लगाए हैं। इन सवालों को हाईकोर्ट बड़ी गंभीरता से देख रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह कानून अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है, लेकिन नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस तरह के कानून का होना आवश्यक है। क्योंकि घर में बच्चों के हाथ में मोबाइल आते हैं और वे गेम खेलना शुरू कर देते हैं, जिससे कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन का होना बेहद ही अनिवार्य है ताकि लोग एक सीमित दायरे में रहकर इन सभी प्लेटफार्म का उपयोग कर सकें, बिना किसी आर्थिक और मानसिक जोखिम के।

कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु हाई कोर्ट ने भी केंद्र सरकार पर आलोक लगाते हुए कहा है कि हुए लॉटरी और मनोजक से जुड़े मामले की सुनवाई का अधिकार सिर्फ राज्य को है, ना कि केंद्र सरकार को। इसलिए बिना राज्य को पूछे इतने बड़े कानून को लागू कर देना कहां तक उचित है।

हालांकि इस विषय में केंद्र का तर्क है कि मामला डिजिटल टेक्नोलॉजी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए उसका अधिकार है कि वह नागरिकों को जोखिम से बचाए। इसके लिए उसे किसी की सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है।

 

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