वायरल खबर: डॉल्फिन ने ट्रेनर को बनाया निवाला, लेकिन सच्चाई निकली कुछ और.

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हाल ही में एक खबर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है जिसमें यह दिखाया जा रहा है कि जेसिका नाम की लड़की, जो काफी लंबे समय से एक डॉल्फिन को पाल रही थी और बीच-बीच में उसका करतब पब्लिक को दिखाया करती थी, हैरतअंगेज़ तरीके से अपने ही पालतू डॉल्फिन का शिकार हो गई। बताया जा रहा है कि डॉल्फिन ने अपने ट्रेनर जेसिका को ही अपना निवाला बना लिया। इस खबर को देखकर पूरा विश्व भर के लोगों की आंखें नम हो गईं और लोग मायूस तथा करुणामय हो उठे।

लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि यह खबर पूरी तरह झूठी है? जी हां, जिस घटना को सुनकर आज लोग दुखी हैं, वह वास्तव में घटी ही नहीं। दरअसल, जेसिका नाम की लड़की या उसका पालतू डॉल्फिन इस दुनिया में अस्तित्व में ही नहीं है।

जानकारी के अनुसार यह टोटल कहानी एआई द्वारा निर्मित की गई है। एआई इतनी एडवांस हो चुकी है कि उसके द्वारा बनाए गए किसी भी पिक्चर या वीडियो को लोग वास्तविक मान बैठते हैं। यही कारण है कि भोली-भाली जनता इन एआई निर्मित वीडियोज़ और फोटोज़ को सच मानकर भावनात्मक रूप से प्रभावित हो जाती है।

आज सोशल मीडिया पर जो कुछ भी हम देखते या सुनते हैं, उसकी सच्चाई का पता लगाना बेहद कठिन हो गया है। आए दिन लोग ऐसे वीडियो और फोटो बनाकर पोस्ट कर देते हैं कि लोग कुछ पल के लिए उन्हें सत्य मान लेते हैं। असलियत यह है कि एआई द्वारा निर्मित वीडियो और फोटोज़ तथा वास्तविक कंटेंट में फर्क करना आम जनता के लिए लगभग नामुमकिन हो गया है।

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मेरा मानना है कि जनता को भ्रमित होने से बचाने के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि एआई द्वारा निर्मित फोटो या वीडियो पर स्पष्ट रूप से “एआई” का मार्क लगाया जाए। ताकि लोग भली-भांति समझ सकें कि कौन-सा कंटेंट वास्तविक है और कौन-सा फेक।

हालांकि, मनोरंजन की दृष्टि से एआई का इस्तेमाल गलत नहीं है, लेकिन जब यह किसी की भावनाओं को आहत करता है तो यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि जनता को फेक वीडियो से इमोशनल न किया जा सके।

आप इस विषय में क्या सोचते हैं? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में अवश्य बताएं।

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